गज़ल क्या है और गज़ल कैसे लिखें|gazal kya hai or gazal kaise likhe

हर भाषा में अपनी अलग-अलग कुछ खास विधाएं होती है, जिनके माध्यम से कोई रचनाकार अपने भावों को उकेरता है। वैसे कई सारी ऐसी रचनाएं होती है जिन्हें केवल भाव को ध्यान में रखकर लिखा जाता है। लेकिन कुछ रचनाएं ऐसी होती है, जिनके लिए कुछ नियम बने होते हैं और बिना नियम के ध्यान रखे हुए हम उस रचना को नहीं लिख सकते।

gazal kaise likhe



गज़ल उर्दू भाषा की एक ऐसी विधा है जिसके लिए कुछ नियम बने हुए हैं, उन नियमों को ध्यान में रखें बिना हम कभी भी गज़ल नहीं लिख सकते। आज गज़ल को कई रचनाकार बिना नियमों के लिख देते हैं और उसे गज़ल का नाम दे देते हैं। इतना ही नहीं कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं तक में बिना नियम के ध्यान रखे लिखी रचनाओं को गज़ल का नाम देकर प्रकाशित कर दिया जाता है।

गज़ल में बहर का एक मुख्य रोल होता है, जिसके बिना हम गज़ल नहीं लिख सकते। गज़ल के बारें में जानने के लिए आपको इसके चरणों को समझना जरूरी होता है। गज़ल के कुछ मुख्य चरण होते हैं-

बहर, काफ़िया, रदीफ़, मतला, शे‘र, मिसरा, मक्ता आदि।

मिसरा क्या है

गजल में लिखी जानी वाली हर लाइन या पंक्ति मिसरा कहलाती है। गजल का हर मिसरा बहर में लिखा जाता है। मिसरे का साधारण अर्थ पंक्ति ही होता है।

शे‘र क्या है

गजल में लिखे जाने वाले हर दो मिसरे के समूह को शे‘र कहते हैं। एक गजल में शे‘र का अहम योगदान होता है। शे‘र के बारें में विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें-शेर क्या है और शेर कैसे लिखें-sher kya hai or sher kese likhe

बहर क्या है 

बहर मात्राओं से बना हुआ एक मीटर है जिसके आधार पर गज़ल का हर मिसरा यानि हर पंक्ति लिखी जाती है। गज़ल के लिए कुल 32 मुख्य बहर मानी जाती है, जिनके आधार पर कोई भी गज़लकार अपनी गज़ल लिखता है। बहर के बारें में अधिक जानकारी यहां से देखें-बहर क्या है या मीटर क्या है-bahar kya hai or miter kya hai

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काफ़िया क्या है

काफ़िया किसी भी शब्द के समान बने हुए शब्दों को कहा जाता है, जिनका प्रयोग करने पर किसी भी रचना को प्रस्तुत करते समय आनंद की अनुभूति होती है। जैसे- नाम शब्द के काफ़िया दाम, जाम आदि होते हैं। काफिया के बारें में अधिक जानकारी यहां से देखें-काफिया और रदीफ क्या है-kafiya or radif kya hai

रदीफ़ क्या है

किसी भी रचना में काफिया के बाद आने वाले शब्दों के समूह को रदीफ कहा जाता है। जैसे मान लीजिए हमारी गजल का एक शे‘र इस प्रकार है-

ज़मीं पर हो गई नफ़रत ज़मीं पर कम मुहब्बत है,
नकाबों से ही दिखती कातिलों में भी शराफ़त है...

तो इनमें मुहब्बत और शराफ़त दोनों काफिया है और इसके बाद ‘‘है‘‘ आया है, यही ‘‘है‘‘ रदीफ होगा। रदीफ के बारें अधिक जानकारी यहां से देखें-रदीफ क्या है

मतला क्या है

गजल में लिखे जाने वाले सबसे पहले दो मिसरे जिनमें दोनों मे काफिया रदीफ का प्रयोग होता है, उसे ही हम मतला कहते हैं। मतला के बारें मे विस्तृत जानकारी यहां से देखें-मतला क्या है|गज़ल में मतला क्या होता है|मतला कैसे लिखें

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मकता क्या है

गजल के अंतिम शे‘र को मकते का शे‘र कहा जाता है, लेकिन उसमें गजलकार यानि गजल लिखने वाले रचनाकार का नाम होना अनिवार्य होता है। कहने का तात्पर्य है गजल का अंतिम शे‘र जिसमें गजल से संबंधित गजलकार का नाम हो, उसे ही मक्ते का शे‘र कहा जाता है।

मक्ते से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप हमारा लेख मक्ता क्या है और मक्ता कैसे लिखें जरूर पढ़ें। तो दोस्तों आज की पोस्ट में इतना ही उम्मीद है आप इस जानकारी को पसंद करेंगे। साथ ही आगे भी ऐसी जानकारी चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट को नियमित रूप से देखते रहें। तो दोस्तों मिलते हैं ऐसी ही अगली पोस्ट के साथ फिर से तब तक के लिए लिखते रहिए।

-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘

3 Comments

  1. thanks u so much sir, for ur great & frank advice about that topic.....

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  2. Ye mere liye bahut hi bdhiya jankari hai. Mai bhi kuch likhne ka kosis krta hun.
    Thanks

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