भिखारी-
फटे पुराने वस्त्र पहनकर
झोली लेकर आता है
कुछ खाने को दे दो हमको
डर डर के चिल्लाता है
झोली लेकर आता है
कुछ खाने को दे दो हमको
डर डर के चिल्लाता है
घर से बाहर व्यक्ति निकलता
उसको डाॅट भगाता है
फिर भी एक टक हमे देखता
कुछ दे दो चिल्लाता है
उसको डाॅट भगाता है
फिर भी एक टक हमे देखता
कुछ दे दो चिल्लाता है
फटे पुराने वस्त्र पहनकर
झोली लेकर आता है
झोली लेकर आता है
मुट्ठी भर चावल हम देते
तब वो कुछ मुस्काता है
मुट्ठी भर चावल के बदले
लाख दुआ दे जाता है
तब वो कुछ मुस्काता है
मुट्ठी भर चावल के बदले
लाख दुआ दे जाता है
कौन भिखारी था मै या वो
सहज प्रश्न रख जाता है
उमर गुजर जाती है फिर भी
पता नही चल पाता है
सहज प्रश्न रख जाता है
उमर गुजर जाती है फिर भी
पता नही चल पाता है
फटे पुराने वस्त्र पहनकर
झोली लेकर आता है
झोली लेकर आता है
-गुमनाम तरंग
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आपकी रचनाएं
Sir maim 2-2 line ka kalaam likhta hu to shayari hua ya gazal ky ho sakta hai. जैसे
ReplyDeleteजैसे आफ़ताब से रोशन ये जँहा होता हैं
वैसा बच्चों के लिए बाप यँहा होता हैं
मर्तबा बाप का फर्शो पे बॉय क्या करता
मर्तबा बाप का अर्शो पे बॉय होता हैं
Thanks & Regard
✍️Rehan siwani
Payam-e-ishq poetry
From youtube channel.
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