कुछ दिन पहले मैंने एक पुस्तक "सफलता शब्दों का खेल है" पढ़ी। इस पुस्तक के लेखक डाॅ. सुधीर दीक्षित हैं। उनकी ये पुस्तक बोलने की कला से संबंधित है। जी हां, अगर आप भी सोच रहे हैं "अपनी बोलने की कला कैसे सुधारें," तो इस पुस्तक से जुड़ी "Art Of Speaking Book Review In Hindi" पोस्ट में खास बातें आपको जान लेनी चाहिए।


art of speaking


दोस्तों, किसी से बातचीत करते वक्त शब्दों का कितना बड़ा महत्व होता है, ये आप भी जानते ही हैं। हम लेखन कला से जुड़े हैं लेकिन कहीं ना कहीं ये दक्षता हमें लिखने में भी मददगार होती है। जिस प्रकार अच्छा बोलना हमारे लिए मायने रखता है, उसी प्रकार अच्छा लिखना भी बहुत मायने रखता है। क्योंकि दोनों ही स्थिति में खेल आखिर शब्दों का ही होता है। डाॅ. सुधीर ने जिस प्रकार अपनी पुस्तक में खास बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया है वाकई अच्छा बोलने की समझ के लिए ये बेहद जरूरी है। मेरे खयाल से इस तरह के पहलुओं पर कोई और लेखक हमारा ध्यान नहीं खींच पाया होगा। अब क्या है ऐसे खास पहलू जिन्हें मैंने अपने दृष्टिकोण से समझें हैं उन्हें आपको साथ साझा कर रहा हूं-


1. Meaning Of Indirectly Things - 

अच्छा बोलने और लिखने के लिए आपको इंडायरेक्टली की गई बातों का अर्थ समझना होगा। इससे दो फायदे हैं एक तो आप किसी बात को कहने के लिए इंडायरेक्टली बोल या लिख पाएंगे। दूसरा किसी के द्वारा कही गई इंडायरेक्टली बातों को भी समझ पाएंगे। एक उदाहरण आपको देना चाहूंगा - आप रास्ते में चलते हुए अपने एक दोस्त से मिल लेते हैं। अब आपको ज्यादा बात करने की आदत है और आपका दोस्त जल्दी में है। ऐसे में वो आपसे कह देता है, अभी घर पर सब इंतजार कर रहे हैं, तो मैं कल बात करता हूं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि वो आपसे सीधा जाने के लिए नहीं कह रहा बल्कि किसी दूसरी बात का सहारा ले रहा है, जिससे कि आपको भी बुरा ना लगे। आप भी ऐसा करते ही होंगे। तो अच्छा बोलने और लिखने की समझ के लिए ये कला सभी में होनी चाहिए।

2. To speak his words cleverly - 

कई बार आप सामने वाले को इंप्रेस करने के लिए जवाब देते वक्त सोच समझके जवाब नहीं देते। अगर आप ये जवाब सोच समझके दें तो आप सामने वाले को इंप्रेस भी कर पाएंगे। उदाहरण के लिए आप अपनी प्रेमिका से कह रहे हैं तुम तो मेरी पत्नी की तरह ही दिखती हो। उसके बाद वो आपसे पूछे कि आपके बच्चें कितने हैं उसके बाद आप कह दें कि मैं तो अनमैरिड हूं। इससे वो आपके बोलने की चतुराई से इंप्रेस हो जाती है। अब इस बातचीत का मतलब आप समझ ही गए होंगे कि इसका तर्क क्या था।


3. The power to understand meaning before speaking - 

अगर आप कुछ लिख या बोल रहे हैं, तो डेफिनेटली आपको सोच समझकर बोलना या लिखना चाहिए। कई लोगों की आदत होती है वो बोलने से पहले उसके बारें में नहीं सोचते। कई महान विचारक कह चुके हैं कि हमें बोलने से पहले उन शब्दों का परिणाम सोचना चाहिए। क्योंकि शब्द जुबान से निकलने के बाद वापस नहीं लिए जा सकते। इसीलिए आपमें ऐसी क्षमता होनी चाहिए कि तुरंत बोलने की स्थिति में भी आपमें सोच समझके बोलने का गुण हो।



4. Making good relationships by speaking well - 

आप यदि कहीं भी जाॅब कर रहे हैं अगर आप अपने शब्दों को सही से बोलने की कला रखते हैं, तो वहां आप रिलेशन बनाते रहते हैं। चाहे आप किसी मीटिंग में अपनी बात रख रहे हैं, चाहे आप किसी स्टाफ मेंबर से बात कर रहे हैं, जब तक आप अच्छे से नहीं बोलेंगे आपकी रिलेशनशीप बन नहीं पाएगी। इसीलिए आपने देखा होगा जिसमें अच्छा बोलने की कला होती है, वो लोगों के साथ अच्छी रिलेशनशीप बनाता जाता है।


5. It is necessary to speak well for peace - 

इस बिंदु को आप अपनी पारिवारिक जिंदगी से भी जोड़कर देख सकते हैं। कई बार घर में किसी मेंबर को आप गुस्से में कुछ बोल देते हैं। जिसके परिणामस्वरूप कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि चैन सुकून ही खत्म नजर आने लगता है। ऐसी स्थिति में आप सोचने लगते है काश मैंने अच्छा बोला होता तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। तो दोस्तों, कहीं ना कहीं ये बिंदु भी अच्छा बोलने की कला के लिए जरुरी है। इतना ही नहीं अगर आप कुछ बिना सोचे समझे भी किसी के बारें में कुछ भी लिख देते हैं, तब भी आपका सुकून आपसे छिन सकता है।


तो प्यारे रिडर्स, आज ही इन पहलुओं को समझने की कोशिश करें। अगर आप भी "अच्छा कैसे बोलें और लिखें," इसके लिए टिप्स खोज रहे हैं, तो दिए गए लिंक से इस पुस्तक को खरीदके जरूर पढें। ध्यान रहें ये पुस्तक किंडल फाॅर्मेट में उपलब्ध है। आप जब दिए गए लिंक पर जाकर पेमेंट करके खरीदेंगे तो आप अपने मोबाइल में डाॅउनलोड करके पढ पाएंगे। पुस्तक पढ़ने के लिए kindle app को अपने फोन में इंस्टाॅल करके रखें।


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- लेखक योगेन्द्र ‘‘यश‘‘

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