चाहो तुम मुझको हमेशा
मुखड़ा चाहो तुम मुझको हमेशा ये ही दुआ मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
अंतरा (1) तुझी को ढूँढे निगाहे, तेरा दीदार करे
तू ना समझ ये भी ना जाने की कितना प्यार करे
तेरा ही चेहरा आंखो को दफा मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
अंतरा (2) कभी तो समझो मेरे दिल के जज़्बातों को
तेरी ही याद मे जगते है हम रातो को
जब याद आए तेरी मैं वो वक़्त रुका मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
अंतरा (3) ये जिगर जान धड़कन साँसे सब तुम्ही हो मेरी
ये बादल बरसात आसमां और जमीं हो मेरी
तू भी करे प्यार मुझको ये अदा मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
अंतरा (4) तुम ही हो मंजिल मेरे इश्क़ की मैं मुशाफ़िर हूँ
हूँ आशिक़ पागल दीवाना मैं इक “ काफिर” हूँ
ना बदले प्यार कभी मेरा वो वफा मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
मुखड़ा चाहो तुम मुझको हमेशा ये ही दुआ मांगू
ना चाहिए मुझको कोई जन्नत ना खुदा मांगू
-मोनु कुमार सिंह "काफिर"
Post a Comment