पिपलांत्री - piplantri - काव्य किरण काव्य पुस्तक का विमोचन- kavya kiran

नमस्ते दोस्तों, आप सभी का स्वागत है साहित्यिक समाचार में। आज हम हमारी वेबसाइट पर साहित्यिक समाचार की शुरुआत करने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत हम एक ऐसी काव्य पुस्तक से करने जा रहे हैं, जिसके पीछे एक बहुत बड़ी बात छिपी है। इस पुस्तक ने और इस पुस्तक में लिखी गई रचनाओं ने किस तरह जन्म लिया है आज हम आपको ये बताना चाहेंगे। ये जानकर आप स्वयं चकित रह जाएंगे और ऐसी जानकारी आपने कहीं नहीं पढ़ी होगी।

पिपलांत्री

दोस्तों, पिपलांत्री जो कि एक छोटा सा गांव है और ये राजस्थान राज्य के राजसमंद जिले में स्थित है। यहां पर एक ऐसी मुहिम की शुरुआत की गई, जिससे piplantri पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व स्तर तक अपनी एक नई पहचान बना चुका है। पिपलांत्री गांव के भूतपूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल जिनकी बेटी का निधन हो गया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की याद में एक वृक्ष लगाकर उसकी पूजा की। ये देख गांव के सभी लोगों की आंखें नम हो गई।
इसके बाद श्याम जी द्वारा एक शुरुआत की गई कि गांव में हर बेटी के जन्म पर 111 वृक्ष लगाए जाएंगे और किसी की मृत्यु होने पर वृक्ष लगाकर उसकी पूजा की जाएगी और आज भी पिपलांत्री में हर बेटी के जन्म पर 111 वृक्ष लगाए जाते हैं। इतना ही नहीं जब भी राखी आती है गांव की महिलाएं और बेटियां वृक्ष को अपना भाई मानकर राखी बांधती है

Piplantri rajsamand

आपको बताना चाहेंगे कि राजसमंद जिला एक ऐसा जिला है जहां से व्हाइट मार्बल निकलता है। पिपलांत्री गांव का पहाड़ एक ऐसा स्थान था जहां पर मार्बल स्लरी थी और वहां पर वृक्ष नहीं उग सकते थे। लेकिन श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी लग्न और मेहनत से वहां पर पानी के कुण्ड बनवाए। इतना ही नहीं वहां पर वृक्षारोपण करते रहे और आज वो स्थान यानि पिपलांत्री एक ऐसा गांव बन गया है, जहां पर चारों ओर हरियाली नजर आती है।

Kavya kiran piplantri

अब हम आपको ये बताना चाहेंगे कि पिपलांत्री से काव्य किरण पुस्तक का संबंध किस तरह है। दोस्तों, श्याम सुंदर जी की जिस बेटी का निधन हुआ था और जिनकी याद में इस मुहिम की शुरुआत हुई उन बहिन का नाम स्व. किरण पालीवाल है। इन्हीं के नाम पर काव्य किरण पुस्तक को लिखा गया, जिसमें हमें प्रकृति से जुड़ी रचनाएं मिलती है। इस पुस्तक में प्रकृति और काव्य का सौंदर्य साथ-साथ दिखाई देता है।

-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘, राजसमंद

Post a Comment

Previous Post Next Post