ना खुद को रोक: motivational poem
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको न पोंछ,
बदल जाएगा ये वक़्त, वक़्त के साथ चलकर तो देख।
होना यूँ न निराश, खुद से पूछ कर देख,
है कितना जूनून खुद में, खुद को तलाश कर देख,
है जो नज़ारा, उसे बंद कर नज़रो में,
वक़्त भी बदल जाएगा, मन की नज़रो से तो देख।
है जो रात का घना साया वो भी ढल जाएगा,
वक़्त के साथ चल कल फिर नया सवेरा आएगा,
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको न पोंछ,
है मंज़िल तेरी छूना है आसमाँ,
आसमाँ न देख उस पर तू जाएगा।
होंगे तेरी राह में, कंटीले पतझड़ से नज़ारे,
वक़्त के साथ चल वक़्त समेट लेगा,
हर दर्द तुम्हारा, हर दर्द तुम्हारा,
रहेगी मुस्कुराहट फिर तेरे लबो पे,
होगी हर ख्वाईश इन लम्हों में,
रहेगी ना फिर पलकें नम,
वक़्त के साथ चल
वक़्त समेट लेगा तेरे हर गम,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको ना पोंछ,
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक।
- Rahul maida
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको न पोंछ,
बदल जाएगा ये वक़्त, वक़्त के साथ चलकर तो देख।
होना यूँ न निराश, खुद से पूछ कर देख,
है कितना जूनून खुद में, खुद को तलाश कर देख,
है जो नज़ारा, उसे बंद कर नज़रो में,
वक़्त भी बदल जाएगा, मन की नज़रो से तो देख।
है जो रात का घना साया वो भी ढल जाएगा,
वक़्त के साथ चल कल फिर नया सवेरा आएगा,
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको न पोंछ,
है मंज़िल तेरी छूना है आसमाँ,
आसमाँ न देख उस पर तू जाएगा।
होंगे तेरी राह में, कंटीले पतझड़ से नज़ारे,
वक़्त के साथ चल वक़्त समेट लेगा,
हर दर्द तुम्हारा, हर दर्द तुम्हारा,
रहेगी मुस्कुराहट फिर तेरे लबो पे,
होगी हर ख्वाईश इन लम्हों में,
रहेगी ना फिर पलकें नम,
वक़्त के साथ चल
वक़्त समेट लेगा तेरे हर गम,
आंसू जो गिरे पलकों से उनको ना पोंछ,
बेवजह इस तरह ना खुद को रोक।
- Rahul maida
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