आप ऐसा ना करें बाकी जहाँ है वहीं रह जाओगे-
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ मैं लेखन के इस ब्लॉग पर। आज मैं लेखन के क्षेत्र से जुड़ी एक बात आपसे शेयर करने जा रहा हूँ ताकि आप अपने आपको वास्तविक रूप से और आंतरिक रूप से एक रचनाकार के रूप में ढाल सको।
दोस्तों, सबसे पहले तो मैं आपसे ये कहना चाहूंगा कि अहंकार एक रचनाकार के व्यक्तित्व को बिगाड़कर रख देता है। एक समय ऐसा था जब साहित्यकार अपने बाह्य आकर्षण को सबकुछ नहीं मानकर आंतरिक रूप से अपने आपको विकसित करने में लगे रहते थे। लेकिन आज अलग दौर आ गया है। बहुत पीड़ा होती है जब कोई केवल कवि बनने का शौक रखके एक-दो कविता किसी की चुराकर मंच पर चढ़ जाता है।
जी हां, दोस्तों और ज्यादा शर्म तब आती है जब कुछ बड़े रचनाकार ये ज्ञात होते हुए भी उसे रोकते नहीं। ऐसा शौक रखने वाले साहित्य के लिए नहीं बल्कि अपने आप के लिए जीते हैं, जो दो पैसे कमाने का सोचके मंच पे चढ़ जाते हैं और उस कवि का हक मार देते हैं, जो अपनी पीड़ा और दर्द को सहते हुए कहीं कोने में बैठा एक बहुत बड़ी रचना रच रहा होता है।
चोरी की कविता लेकर भी अहंकार इतना दिखता है कि अपने बाह्य आकर्षण को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। अगर एक रचनाकार हैं तो उसे अपने आप को आंतरिक रूप से ढालने की कोशिश करनी होगी। एक कवि वो नहीं होगा जो बाह्य आकर्षण बढ़ाके आमजन से दूर रहे ये सोचके की मैं बड़ा हूँ। नहीं, दोस्तों जब तक एक कवि आमजन से जुड़ेगा नहीं वो उनकी तकलीफ़ उनके दर्द को लिख नहीं पाएगा।
अंत मैं यही कहना चाहूंगा अगर आप भी कोई साहित्यिक संस्था चलाते हैं या जुड़े हुए हैं, तो ऐसे तुच्छ साहित्यिक चोरों को साहित्य के क्षेत्र से दूर निकाल फैंको जो सुंदर काव्य की फसलों में खरपतवार का काम कर रहे हैं। केवल संस्था बनाकर कुछ लोग बड़ी बातें साहित्य के विकास के लिए खूब करते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को रोकते तक नहीं। अरे कदम उठाओ कोई चोर है तो वो आपका क्या बिगाड़ेगा चोर वो है हम नहीं। पैसे कमाने के और भी तरीके हैं। लेकिन हम हमारे साहित्य का अपमान नहीं होने देंगे। आप भी साहित्य के और लेखन के विकास के लिए कुछ करें ताकि आप अपने स्थान को खोए नहीं।
तो आज से ये ठान लो अगर कलम उठाई है तो मां शारदे के सम्मान के लिए हम लिखते रहेंगे। दोस्तों, आपके साहित्य के प्रति समपर्ण से मां के चेहरे पर मुस्कान रहेगी। मां शारदे ऐसे शख्स को कभी आगे नहीं बढ़ाती जो साहित्य सर्जन नहीं बल्कि साहित्य को मिटाने का काम करते हैं। ऐसे शख्स एक स्तर तक ही रहते हैं कभी कुछ नया नहीं कर पाते। आगे वही बढ़ता है और सम्मान वही पाता है जो अच्छा काम करता है।
अपनी वाणी को यही विराम देता हूँ। सही के लिए हमेशा लिखूंगा और बोलूंगा। अगर आप हमारे लेशन पढ़ना चाहते हैं तो आप रोजाना हमारी वेबसाइट को देखा करें।
धन्यवाद
-लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ मैं लेखन के इस ब्लॉग पर। आज मैं लेखन के क्षेत्र से जुड़ी एक बात आपसे शेयर करने जा रहा हूँ ताकि आप अपने आपको वास्तविक रूप से और आंतरिक रूप से एक रचनाकार के रूप में ढाल सको।
दोस्तों, सबसे पहले तो मैं आपसे ये कहना चाहूंगा कि अहंकार एक रचनाकार के व्यक्तित्व को बिगाड़कर रख देता है। एक समय ऐसा था जब साहित्यकार अपने बाह्य आकर्षण को सबकुछ नहीं मानकर आंतरिक रूप से अपने आपको विकसित करने में लगे रहते थे। लेकिन आज अलग दौर आ गया है। बहुत पीड़ा होती है जब कोई केवल कवि बनने का शौक रखके एक-दो कविता किसी की चुराकर मंच पर चढ़ जाता है।
जी हां, दोस्तों और ज्यादा शर्म तब आती है जब कुछ बड़े रचनाकार ये ज्ञात होते हुए भी उसे रोकते नहीं। ऐसा शौक रखने वाले साहित्य के लिए नहीं बल्कि अपने आप के लिए जीते हैं, जो दो पैसे कमाने का सोचके मंच पे चढ़ जाते हैं और उस कवि का हक मार देते हैं, जो अपनी पीड़ा और दर्द को सहते हुए कहीं कोने में बैठा एक बहुत बड़ी रचना रच रहा होता है।
चोरी की कविता लेकर भी अहंकार इतना दिखता है कि अपने बाह्य आकर्षण को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। अगर एक रचनाकार हैं तो उसे अपने आप को आंतरिक रूप से ढालने की कोशिश करनी होगी। एक कवि वो नहीं होगा जो बाह्य आकर्षण बढ़ाके आमजन से दूर रहे ये सोचके की मैं बड़ा हूँ। नहीं, दोस्तों जब तक एक कवि आमजन से जुड़ेगा नहीं वो उनकी तकलीफ़ उनके दर्द को लिख नहीं पाएगा।
अंत मैं यही कहना चाहूंगा अगर आप भी कोई साहित्यिक संस्था चलाते हैं या जुड़े हुए हैं, तो ऐसे तुच्छ साहित्यिक चोरों को साहित्य के क्षेत्र से दूर निकाल फैंको जो सुंदर काव्य की फसलों में खरपतवार का काम कर रहे हैं। केवल संस्था बनाकर कुछ लोग बड़ी बातें साहित्य के विकास के लिए खूब करते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को रोकते तक नहीं। अरे कदम उठाओ कोई चोर है तो वो आपका क्या बिगाड़ेगा चोर वो है हम नहीं। पैसे कमाने के और भी तरीके हैं। लेकिन हम हमारे साहित्य का अपमान नहीं होने देंगे। आप भी साहित्य के और लेखन के विकास के लिए कुछ करें ताकि आप अपने स्थान को खोए नहीं।
तो आज से ये ठान लो अगर कलम उठाई है तो मां शारदे के सम्मान के लिए हम लिखते रहेंगे। दोस्तों, आपके साहित्य के प्रति समपर्ण से मां के चेहरे पर मुस्कान रहेगी। मां शारदे ऐसे शख्स को कभी आगे नहीं बढ़ाती जो साहित्य सर्जन नहीं बल्कि साहित्य को मिटाने का काम करते हैं। ऐसे शख्स एक स्तर तक ही रहते हैं कभी कुछ नया नहीं कर पाते। आगे वही बढ़ता है और सम्मान वही पाता है जो अच्छा काम करता है।
अपनी वाणी को यही विराम देता हूँ। सही के लिए हमेशा लिखूंगा और बोलूंगा। अगर आप हमारे लेशन पढ़ना चाहते हैं तो आप रोजाना हमारी वेबसाइट को देखा करें।
धन्यवाद
-लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
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