कभी काफ़िया बदलते हो कभी रदीफ़-रचनाकारों से होने वाली ज्यादातर गलती
नमस्ते दोस्तों, लेखन के इस unique blog में आपका बहुत-बहुत स्वागत है, जहां आपको मिलते हैं लेखन से जुड़े free lesson. आज के lesson में आपको हम ये बताने वाले हैं कि ऐसी कौनसी गलती है, जो ज्यादातर रचनाकार बार-बार करते हैं और वो उस गलती से परिचित नहीं हो पाते। आप भी ये lesson जरूर पढ़ें ताकि आपको भी पता चल सके कि कहीं ये गलती आप भी तो नहीं कर रहे।
दोस्तों, आप भी जानते हैं कि किसी रचना को लिखने में काफ़िया रदीफ़ की क्या भूमिका हो सकती है। अगर आपको पता नहीं है कि काफ़िया रदीफ़ क्या है, तो आप हमारा लेशन काफ़िया रदीफ़ क्या है जरूर पढ़ें। काफ़िया रदीफ़ का use करके रचना जितनी सुंदर बनती है, उनके गलत use से रचना उतनी ही ज्यादा बिगड़ सकती है।
काफ़िया रदीफ़ में से केवल काफ़िया को ही हर पंक्ति में बदला जाता है। जैसे हमारी एक रचना है-
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
मेरी यादों को दिल में दफ़न मत करो।
मैंने आंसू की बूंदों से सींचा इसे,
इस गुलिस्तां को उजड़ा चमन मत करो।
तुम बढ़ा देते मिलकर ये तनहाइयाँ,
इससे अच्छा कि मुझसे मिलन मत करो।
इस रचना में आप देख सकते हैं कि किस तरह से हमने "जतन" शब्द के काफ़िया लेकर use किए हैं। इस रचना में काफ़िया बदल रहा है और रदीफ़ नियमों के अनुसार बदला नहीं है। इसमें रदीफ़ "मत करो" है।
अब कई रचनाकार गलती क्या करते हैं हम इसी रचना से बताते हैं-
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
मेरी यादों को दिल में दफ़न मत करो।
क्या कहूँ तुमको मैं बस इतना कहूँ,
बस यही कहता हूं कि मुहब्बत करो।
इस रचना में आप देख सकते हैं कि हम पहले काफ़िया "जतन" को मान चुके हैं, तो हमें पूरी रचना में इसी के काफ़िया लेने थे और रदीफ़ "मत करो" ही रखना था। लेकिन ज्यादातर रचनाकार यही गलती करते हैं कि वो काफ़िया चुनकर भूल जाते हैं कि उन्हें केवल वही बदलना है रदीफ़ नहीं। जिस तरह आप खुद देख सकते हैं इस रचना में चौथी पंक्ति में रदीफ़ बदल दिया, जो कि बहुत बड़ी गलती है।
कहने का अर्थ यही है कि अगर हम पूरी रचना में एक ही शब्द के काफ़िया ले रहे हैं, तो हमें उसी के लेने हैं। ऐसा करने पर ही हम काफ़िया रदीफ़ का सही use कर पाएंगे और हमारी रचना गलत नहीं होगी।
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा आज का लेशन पसन्द आया होगा। अगर आप आगे भी ऐसे free lesson रोजाना पढ़ना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट को रोजाना देखा करें। मिलते हैं फिर एक ऐसे ही unique topic के साथ तब तक लिखते रहिये और सीखते रहिये।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
नमस्ते दोस्तों, लेखन के इस unique blog में आपका बहुत-बहुत स्वागत है, जहां आपको मिलते हैं लेखन से जुड़े free lesson. आज के lesson में आपको हम ये बताने वाले हैं कि ऐसी कौनसी गलती है, जो ज्यादातर रचनाकार बार-बार करते हैं और वो उस गलती से परिचित नहीं हो पाते। आप भी ये lesson जरूर पढ़ें ताकि आपको भी पता चल सके कि कहीं ये गलती आप भी तो नहीं कर रहे।
दोस्तों, आप भी जानते हैं कि किसी रचना को लिखने में काफ़िया रदीफ़ की क्या भूमिका हो सकती है। अगर आपको पता नहीं है कि काफ़िया रदीफ़ क्या है, तो आप हमारा लेशन काफ़िया रदीफ़ क्या है जरूर पढ़ें। काफ़िया रदीफ़ का use करके रचना जितनी सुंदर बनती है, उनके गलत use से रचना उतनी ही ज्यादा बिगड़ सकती है।
काफ़िया रदीफ़ में से केवल काफ़िया को ही हर पंक्ति में बदला जाता है। जैसे हमारी एक रचना है-
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
मेरी यादों को दिल में दफ़न मत करो।
मैंने आंसू की बूंदों से सींचा इसे,
इस गुलिस्तां को उजड़ा चमन मत करो।
तुम बढ़ा देते मिलकर ये तनहाइयाँ,
इससे अच्छा कि मुझसे मिलन मत करो।
इस रचना में आप देख सकते हैं कि किस तरह से हमने "जतन" शब्द के काफ़िया लेकर use किए हैं। इस रचना में काफ़िया बदल रहा है और रदीफ़ नियमों के अनुसार बदला नहीं है। इसमें रदीफ़ "मत करो" है।
अब कई रचनाकार गलती क्या करते हैं हम इसी रचना से बताते हैं-
आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,
मेरी यादों को दिल में दफ़न मत करो।
क्या कहूँ तुमको मैं बस इतना कहूँ,
बस यही कहता हूं कि मुहब्बत करो।
इस रचना में आप देख सकते हैं कि हम पहले काफ़िया "जतन" को मान चुके हैं, तो हमें पूरी रचना में इसी के काफ़िया लेने थे और रदीफ़ "मत करो" ही रखना था। लेकिन ज्यादातर रचनाकार यही गलती करते हैं कि वो काफ़िया चुनकर भूल जाते हैं कि उन्हें केवल वही बदलना है रदीफ़ नहीं। जिस तरह आप खुद देख सकते हैं इस रचना में चौथी पंक्ति में रदीफ़ बदल दिया, जो कि बहुत बड़ी गलती है।
कहने का अर्थ यही है कि अगर हम पूरी रचना में एक ही शब्द के काफ़िया ले रहे हैं, तो हमें उसी के लेने हैं। ऐसा करने पर ही हम काफ़िया रदीफ़ का सही use कर पाएंगे और हमारी रचना गलत नहीं होगी।
तो उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा आज का लेशन पसन्द आया होगा। अगर आप आगे भी ऐसे free lesson रोजाना पढ़ना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट को रोजाना देखा करें। मिलते हैं फिर एक ऐसे ही unique topic के साथ तब तक लिखते रहिये और सीखते रहिये।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
कतिपय बड़े कवियों द्वारा भी ऐसी त्रुटियाँ परिलक्षित की गयी हैं उनके लिए भी यह एक सीख है...... बड़ी बात....... धन्यवाद ।
ReplyDeleteजी आपका बहुत-बहुत आभार
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