अकेला होने का एहसास
आज फिर इस बेबस दिल को तेरा ख्याल आया है
में हूं कितना मजबुर ये मेरे छुपे आंसुओ ने बताया है
यूं तो बहुत है इस "दर्द" के "हमदर्द"
पर उनका क्या जो दर्द देकर लौट कर ना आया
आज फिर इस बेबस दिल को तेरा ख्याल आया है
में हूं कितना मजबुर ये मेरे छुपे आंसुओ ने बताया है
यूं तो बहुत है इस "दर्द" के "हमदर्द"
पर उनका क्या जो दर्द देकर लौट कर ना आया
जिसने मेरे सोए अरमानों को जगाया
आज फिर उसी की यादों ने मुझे तन्हा होने का एहसास कराया
तभी टूटे दिल की आवाज आयी कहां है
वो बेखबर जिसने हँसते दिल को जलाया
कहां है वो अनजान जिसने इस हँसते चेहरे को
दुख का एहसास कराया
जिसने आज इस चेहरे की हसी को भरे बाज़ार में नीलाम कराया
क्या तुझे ज़रा भी रोना ना आया
जब तूने किसी बेगुनाह को गुनेहगार ठहराया
यूं तो तूने बड़ी जल्दी उम्मीदों का घर बनाया
पर उसी को शमशान बनाने में एक क्षण भी ना
लगाया ना
मेरे चेहरे की खिली लालिमा को एक पल में मिटाया
क्या तुझे ज़रा भी रोना ना आया जब तूने
किसी हस्ते चेहरे को अकेला होने का एहसास कराया ।।
- तनवीर सिंह
Post a Comment