मित्रों, हिंदी भाषा हमारी मातृभाषा है। आजकल बच्चे ज्यादातर इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं। उन्हीं में से कुछ बच्चे ‘‘शुद्ध हिंदी कैसे लिखें और बोले‘‘ रोजाना यही प्रश्न करते हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें इसकी जरूरत महसूस हो ही जाती है। आखिर होगी भी क्यों नहीं आखिरकार ज्यादातर लोग बातचीत भी हिंदी में ही कर रहे हैं। साथ ही ऑफिशियल तौर पर भी हम इसी भाषा का प्रयोग करते हैं। स्टूडेंट्स के साथ-साथ कई कविताओं के रचनाकार भी ये जानना चाह रहे हैं कि हम ‘‘हिंदी कैसे लिखते हैं और बोलते हैं‘‘ इस पर भी कंटेंट लेकर आएं। इसीलिए आज का ये कंटेंट इसी विषय पर है।
मित्रों, आपने भी सुना ही होगा कि इंग्लिश और हिंदी दोनों लेंग्वेज में हिंदी को कठिन माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि हिंदी का शब्द संग्रह बहुत बड़ा है। ऐसे में आपके दिमाग में तनाव रहता है कि हम शुद्ध हिंदी कैसे सीखें। हिंदी लिखना और बोलना सीखने के लिए सबसे पहले एक बात समझ लीजिए कि आप शुद्ध हिंदी का सही मतलब भी समझ पा रहे हैं या नहीं। समझाने के लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूं-
● मैं आपकी बात से अनजान था।
● मैं आपकी बात से अनभिज्ञ था।
● मैं आपका इंतजार कर रहा था।
● मैं आपकी प्रतीक्षा कर रहा था।
इन वाक्यों से आप ये तो समझ गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूं। मैं ये कहना चाह रहा हूं कि शुद्ध हिंदी में इंतजार ना लिखकर अनभिज्ञ लिखने से हिंदी की शुद्धता में निखार आ जाता है। हालांकि कुछ शब्द आपको हिंदी और उर्दू दोनों में एक जैसे मिल जाते हैं। लेकिन मैं इसके सौंदर्य पक्ष को ध्यान में रखकर ये कह रहा हूं।
एक बात और कर लेते हैं जो मुझे अध्यापक प्रशिक्षण के दौरान एक एक्सपर्ट से पता चली थी। आपने पर्यायवाची शब्द तो पढ़े ही होंगे। हर कक्षा में हम हर शब्द के पांच-पांच पर्यायवाची याद करते ही थे। अब वो हमारी हिंदी भाषा में कितना महत्व रख सकते हैं आपको मेरी इस बात से पता चलेगा जो मुझे बताई गई थी।
कई बार हम कहते हैं ‘‘मैं ईश्वर को फूल चढ़ा रहा हूं‘‘ तो यहां ईश्वर के लिए ‘‘फूल‘‘ शब्द का प्रयोग होना सही नहीं रहेगा। क्योंकि फूल मरे हुए पर चढ़ाए जाते हैं। ईश्वर के लिए हम इस तरह से कह सकते हैं ‘‘मैं ईश्वर को पुष्प चढ़ा रहा हूं‘‘ इससे अर्थ और सौंदर्य दोनों बरकरार रहता है। इसीलिए हिंदी लिखने और बोलने के लिए मैं आपसे यही कहूंगा कि आप इसके शब्दकोश पर ध्यान दें। यहां ‘‘हिंदी कैसे लिखें‘‘ में मैं आपको ये नहीं कहूंगा कि आप वर्णमाला सीखें ये वो आदि। क्योंकि ये बातें आपको भी मालूम होगी और आपने कई विडियोज में देख भी ली होगी। मैं यहां बस मोटे तौर पर आपको बता रहा हूं कि हिंदी भाषा सीखने में आपको क्या ध्यान रखना है।
जब आप कोई वाक्य बोलते या लिखते हैं, तो आप उस वाक्य में आए शब्दों पर गौर करें। आपको लगे कि संबंधित वाक्य में कोई शब्द ऐसा आया है जिसके शुद्ध हिंदी शब्द और भी मिल सकते हैं। तो उसके बाद आप शब्दकोश का सहारा लें। क्या पता कोई दूसरा शब्द आपके हिंदी वाक्य का सौंदर्य बढ़ा दे। इससे आपका शब्दकोश भी बढ़ेगा। क्योंकि आपने भी सुना होगा कि हमारा शब्दकोश जितना होगा हम उसी आधार पर बोल और लिख पाएंगे। हिंदी भाषा सीखने के लिए आपको यही बात समझनी है कि आप जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं वो सही है या नहीं।
अगर आप शुद्ध शब्द लेंगे तो आपको उच्चारण में भी समस्या आ सकती है। क्योंकि आपकी जुबान को इसकी आदत नहीं होती। इसके लिए आपको अभ्यास की जरूरत रहती ही है। आपकी जुबान को जब तक इनकी आदत नहीं होगी तब तक आप शब्दों को सही उच्चारित नहीं कर पाएंगे। इसके लिए आप एक योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। जैसे - रोजाना के दस-दस वाक्य लिखकर उनका उच्चारण करें। ऐसे गीत या भजनों को सुने जिनमें हिंदी शब्दों का प्रयोग किया गया हो।
ऐसा करने से आपके मन को बोरियत भी महसूस नहीं होगी और वो धून और शब्द आपकी जुबान पर चढ़ते रहेंगे। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आप भी ये जानते ही होंगे कि मान लीजिए किसी बच्चे या शख्स को इंग्लिश नहीं आती। लेकिन अगर कोई नया इंग्लिश गाना आ जाए तो वो उसे गा लेता है। क्योंकि ये तरिका मनोरंजनात्मक होता है।
चलिए, आज के लिए इतना ही फिर कभी और किसी कंटेंट में बताउंगा ‘‘हिंदी कैसे लिखें और बोले‘‘ के बारें में। फिल्हाल इस कंटेंट में जो बाते हिंदी सीखने और बोलने के लिए मैंने बताई आपको ये अच्छे तरिके से समझ आ गई होगी। इससे संबंधित अगर आपके कोई प्रश्न हैं तो कमेंट में आमंत्रित हैं। अगर आप हमारे ‘‘कविता कैसे लिखें‘‘ से संबंधित कोर्स पढ़ना चाहते हैं, तो दिए गए लिंक से खरीद सकते हैं। - Link
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