Shayari or gazal me difference in hindi-Shayari और ग़ज़ल में क्या अंतर है-
नमस्ते दोस्तों, इंटरनेट के इस महाजाल पर लेखन के इस unique ब्लॉग में आपका हृदय तल से स्वागत करता हूँ। लेखन के आज के इस लेशन में हम आपको बताने वाले हैं कि शायरी और ग़ज़ल में क्या अंतर होता है। इससे पहले अगर आपने हमारा लेशन ग़ज़ल क्या है और ग़ज़ल कैसे लिखें नहीं पढ़ा है, तो पहले इसे जरूर पढ़ लें।
दोस्तों, शायरी और ग़ज़ल दोनों ही उर्दू की विधाएं हैं। भले ही दोनों आज किसी भी भाषा में स्वतंत्रत रूप से लिखी जाती हो। लेकिन इन दोनों में उर्दू शब्दों के use से ही इनका सौंदर्य बन पाता है। कहने का अर्थ है भले ही हिंदी या किसी भी language में आप इन्हें लिखें, साथ-साथ उर्दू शब्दों का समावेश भी हो, तो बेहतर होगा।
नमस्ते दोस्तों, इंटरनेट के इस महाजाल पर लेखन के इस unique ब्लॉग में आपका हृदय तल से स्वागत करता हूँ। लेखन के आज के इस लेशन में हम आपको बताने वाले हैं कि शायरी और ग़ज़ल में क्या अंतर होता है। इससे पहले अगर आपने हमारा लेशन ग़ज़ल क्या है और ग़ज़ल कैसे लिखें नहीं पढ़ा है, तो पहले इसे जरूर पढ़ लें।
दोस्तों, शायरी और ग़ज़ल दोनों ही उर्दू की विधाएं हैं। भले ही दोनों आज किसी भी भाषा में स्वतंत्रत रूप से लिखी जाती हो। लेकिन इन दोनों में उर्दू शब्दों के use से ही इनका सौंदर्य बन पाता है। कहने का अर्थ है भले ही हिंदी या किसी भी language में आप इन्हें लिखें, साथ-साथ उर्दू शब्दों का समावेश भी हो, तो बेहतर होगा।
शायरी में किसी भी छंद या बहर का ध्यान नहीं रखना होता है, ये आप पर निर्भर है कि आप इसे कैसे लिखना चाहते हैं। लेकिन शायरी में काफ़िया और रदीफ़ का ध्यान जरूर रखना होता है। यदि आपको काफ़िया रदीफ़ के बारे में जानकारी नहीं है, तो आप हमारा लेशन काफ़िया रदीफ़ क्या है जरूर पढ़ें। शायरी चार line की होती है। शायरी में काफ़िया रदीफ़ का use केवल पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में ही होता है। उदाहरण के लिए हमारी एक शायरी पेश है-
आंखें थक जाएगी तो यहीं सो जाएंगे,
फिर भी तुम ना आई तो रो जाएंगे,
खो गए हो ना अगर तुम कोई बात नहीं,
तुम्हें ढूंढ़ते-ढूंढ़ते हम भी खो जाएंगे।
इसी प्रकार ग़ज़ल में भी काफ़िया रदीफ़ का ध्यान रखा जाता है। लेकिन शायरी और ग़ज़ल में सबसे बड़ा फर्क है कि ग़ज़ल बहर में लिखी जाती है। जबकि शायरी को बिना बहर के भी लिखा जा सकता है। अगर आपको बहर के बारे में जानकारी नहीं है, तो आप हमारा लेशन बहर क्या है जरूर पढ़ें। ग़ज़ल के मतले में दोनों पंक्ति में काफ़िया रदीफ़ होता है और बाकी के शे'र में केवल दूसरी पंक्ति में ही काफ़िया रदीफ़ होता है। यदि आपको ग़ज़ल में मतला क्या है इसकी जानकारी नहीं है, तो आप हमारा लेशन मतला क्या है और मतला कैसे लिखें जरूर पढ़ें।
हमारी एक ग़ज़ल का एक मतला और एक शे'र पेश है-
ये आंसू आज आंखों से निकल जाए तो अच्छा हो,
गमों का आज ये मौसम बदल जाए तो अच्छा हो।
उसे कह दो मुझे बस एक पल ये और जीने दे,
ठहर जाए यहां कुछ पल वो कल जाए तो अच्छा हो।
ग़ज़ल का मतला और एक शे'र एक शायरी हो सकती है। लेकिन एक शायरी ग़ज़ल का मतला और एक शे'र नहीं हो सकती। तो दोस्तों, यही शायरी और ग़ज़ल में सबसे बड़ा फर्क होता है। उम्मीद करता हूँ आपको हमारा आज का ये लेशन पसन्द आया होगा। अगर आप आगे भी ऐसे unique lesson पढ़ना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट को रोजाना देखा करें। मिलते हैं फिर एक ऐसे ही लेशन के साथ तब तक लिखते रहिये और सीखते रहिये।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
Post a Comment