मक्ता क्या है और मक्ता कैसे लिखें|makta kya hai or kaise likhe
हर चीज का अपना एक स्वरूप होता है, ठीक वैसे ही गजल का भी अपना एक स्वरूप है जिसके कारण ही गजल बनती है। अगर किसी एक चरण को भी ध्यान न रखा जाए, तो चीज अपने आप में अधूरी होती है। गजल में भी मक्ते की कुछ ऐसी ही भूमिका होती है जिसके बिना गजल कभी भी पूरी नहीं लिखी जा सकती। चलिए जानते हैं मक्ते के बारें में कुछ रोचक जानकारियां इससे पहले आप हमारा लेख गज़ल क्या है और गज़ल कैसे लिखें जरूर पढ़ें।
मक्ता क्या है-makta kya hai
गजल में लिखा गया अंतिम शे‘र जिसमें गजलकार का नाम हो, उसे ही मक्ते का शे‘र यानि मक्ता कहा जाता है। मक्ता गजल के स्वरूप को सुंदर बनाता है। मक्ते का शे‘र लिखने से गजल अपने पूरे स्वरूप में नजर आती है।
मक्ते का शे‘र कैसे लिखें-makta kaise likhe
मक्ते का शे‘र लिखने के लिए आपको मतला और गजल के बाकि शे‘र लिखकर पूरे करने होंगे। उसके बाद आपको गजल का अंतिम शे‘र यानि मक्ता लिखना होगा। मक्ता आपको गजल के अन्य शे‘र की तरह ही लिखना होगा, बस इसमें एक बात का ध्यान रखना अनिवार्य होगा और वो ये कि आपको उसमें अपना नाम जरूर बताना होगा। बस यही बात ध्यान में रखकर आप मक्ते का शे‘र लिखकर गजल पूरी करें।
मक्ते के शे‘र के लिए रोचक जानकारी-makta details in ghazal writing
कई गजलकार अपनी गजल में मक्ते का शे‘र लिखते हैं और कई नहीं लिखते हैं। जो भी गजलकार मक्ते का शे‘र लिखते हैं, वो गजल का सौंदर्य समझते हैं। कई रचनाकारों ने ये भी पूछा हुआ है कि क्या गजल में मक्ते का शे‘र होना अनिवार्य है, तो उनके लिए हमारा यही जवाब होगा। मान लीजिए आपने रहने के लिए एक अपना घर बनवाया है, अब आप अपने मकान के बाहर अपने नाम की नेंपलेट लगाएं या ना लगाएं ये आप पर निर्भर करता है।
कहने का मतलब है आप अपनी गजल में अपनी पहचान बताना चाहते हैं, तो आपको मक्ते का शे‘र लिखना ही चाहिए। हम तो यही सुझाव देंगे कि आप गजल में मक्ते का शे‘र जरूर लिखें। इतना ध्यान जरूर रखें कि मक्ते के शे‘र में नाम और भावार्थ स्पष्ट होना चाहिए। तो दोस्तों यदि आपको हमारी ये जानकारी पसंद आई हो, तो आप हमारी वेबसाइट को नियमित रूप से देखते रहें। मिलते हैं फिर से ऐसी ही एक रोचक जानकारी के साथ तब तक के लिए लिखते रहिए।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
हर चीज का अपना एक स्वरूप होता है, ठीक वैसे ही गजल का भी अपना एक स्वरूप है जिसके कारण ही गजल बनती है। अगर किसी एक चरण को भी ध्यान न रखा जाए, तो चीज अपने आप में अधूरी होती है। गजल में भी मक्ते की कुछ ऐसी ही भूमिका होती है जिसके बिना गजल कभी भी पूरी नहीं लिखी जा सकती। चलिए जानते हैं मक्ते के बारें में कुछ रोचक जानकारियां इससे पहले आप हमारा लेख गज़ल क्या है और गज़ल कैसे लिखें जरूर पढ़ें।
मक्ता क्या है-makta kya hai
गजल में लिखा गया अंतिम शे‘र जिसमें गजलकार का नाम हो, उसे ही मक्ते का शे‘र यानि मक्ता कहा जाता है। मक्ता गजल के स्वरूप को सुंदर बनाता है। मक्ते का शे‘र लिखने से गजल अपने पूरे स्वरूप में नजर आती है।
मक्ते का शे‘र कैसे लिखें-makta kaise likhe
मक्ते का शे‘र लिखने के लिए आपको मतला और गजल के बाकि शे‘र लिखकर पूरे करने होंगे। उसके बाद आपको गजल का अंतिम शे‘र यानि मक्ता लिखना होगा। मक्ता आपको गजल के अन्य शे‘र की तरह ही लिखना होगा, बस इसमें एक बात का ध्यान रखना अनिवार्य होगा और वो ये कि आपको उसमें अपना नाम जरूर बताना होगा। बस यही बात ध्यान में रखकर आप मक्ते का शे‘र लिखकर गजल पूरी करें।
मक्ते के शे‘र के लिए रोचक जानकारी-makta details in ghazal writing
कई गजलकार अपनी गजल में मक्ते का शे‘र लिखते हैं और कई नहीं लिखते हैं। जो भी गजलकार मक्ते का शे‘र लिखते हैं, वो गजल का सौंदर्य समझते हैं। कई रचनाकारों ने ये भी पूछा हुआ है कि क्या गजल में मक्ते का शे‘र होना अनिवार्य है, तो उनके लिए हमारा यही जवाब होगा। मान लीजिए आपने रहने के लिए एक अपना घर बनवाया है, अब आप अपने मकान के बाहर अपने नाम की नेंपलेट लगाएं या ना लगाएं ये आप पर निर्भर करता है।
कहने का मतलब है आप अपनी गजल में अपनी पहचान बताना चाहते हैं, तो आपको मक्ते का शे‘र लिखना ही चाहिए। हम तो यही सुझाव देंगे कि आप गजल में मक्ते का शे‘र जरूर लिखें। इतना ध्यान जरूर रखें कि मक्ते के शे‘र में नाम और भावार्थ स्पष्ट होना चाहिए। तो दोस्तों यदि आपको हमारी ये जानकारी पसंद आई हो, तो आप हमारी वेबसाइट को नियमित रूप से देखते रहें। मिलते हैं फिर से ऐसी ही एक रोचक जानकारी के साथ तब तक के लिए लिखते रहिए।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
सुंदर जानकारी
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ReplyDeleteसुंदर जानकारी, यदि नाम बहर में फिट न आ रहा हो तो क्या करना चाहिए |
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