कवि गोपाल दास नीरज जीवनी - Gopal das neeraj biography in hindi
एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कई सारी बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की है साथ ही फिल्मों को भी श्रेष्ठ गीत दिए हैं। ऐसी शख्सियत का नाम है ‘‘गोपाल दास नीरज‘‘। गोपाल दास नीरज का पूरा नाम गोपाल दास सक्सेना है। गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश में हुआ। गोपाल दास नीरज के पिता का नाम बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना था। इनकी माता के नाम के बारें में जानकारी नहीं होने से हम बता नहीं पाएंगे।
गोपाल दास नीरज का बचपन और शिक्षा
गोपाल दास नीरज जब छोटे थे तभी इनकी माता का स्वर्गवास हो गया था। गोपाल दास नीरज बचपन से ही पढ़ने में होशियार छात्र रहे हैं। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एटा के एक विद्यालय से पूरी की। गोपाल दास नीरज के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिससे इन्होंने टाइप करने का काम भी किया। इनका बचपन संघर्षमय निकला।
काॅलेज शिक्षा और करियर
अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद इन्होंने 1951 में स्नातक पूरी की। गोपाल दास नीरज की हिंदी में रूचि थी इसीलिए स्नातक के बाद उन्होंने 1953 में हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। गोपाल दास नीरज ने अलीगढ़ में लेक्चरर के पद पर भी काम किया।
साहित्यिक जीवन
जब गोपाल दास नीरज स्नातक कर रहे थे तभी से उन्होंने काव्यपाठ आदि करना प्रारंभ कर दिया था। गोपाल दास नीरज की गीत लेखन में काफी रूचि थी और वो मंचों पर गीत गाके श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया करते थे। धीरे-धीरे गोपाल दास नीरज एक अच्छे गीतकार के रूप में सभी के दिलों में बसते गए। जब गोपाल दास नीरज गीतकार के रूप में अपनी ख्याति बना चुके थे तब उन्हें बाॅलीवुड की एक फिल्म ‘‘नई उमर की फसल‘‘ के लिए गीत लिखने का अवसर मिला। गोपाल दास नीरज ने इस फिल्म के लिए अपना पहला गीत ‘‘कारवां गुजर गया‘‘ लिखा। इस गीत को लिखने के बाद जब ये फिल्म रीलिज हुई, तो इस गीत को प्रशंसकों ने बहुत पसंद किया। ये अवसर गोपाल दास नीरज के जीवन का सबसे सुनहरा अवसर रहा। इसी अवसर से उन्हें बहुत बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हुई। इतना ही नहीं जब गोपाल दास नीरज के गीत मशहूर होने लगे तब उन्हें कई फिल्मों से गीत लिखने के लिए निमंत्रण मिलने लगे। इसी के फलस्वरूप गोपाल दास नीरज को प्रेम पुजारी, मेरा नाम जोकर, चंदा और बिजली और पहचान जैसी बड़ी फिल्मों के लिए और गीत लिखने के अवसर मिले।
उपलब्धियां
गोपाल दास नीरज को गीत लेखन के लिए कई बड़े-बड़े पुरस्कार प्राप्त हुए। साहित्य के क्षेत्र के अलावा फिल्म के क्षेत्र से भी कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। किसी भी गीतकार के लिए ये सबसे बड़ी उपलब्धि होगी कि उसका लिखा गीत लता मंगेश्कर जैसी मशहूर गायिका गाए। फिल्मों के लिए मशहूर गीत लिखने से इन्हें कई सारे पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें फिल्म फेयर अवार्ड मुख्य रूप से है जो इन्हें फिल्मों में लिखें कई गीतों के लिए मिले हैं।
इतना ही नहीं गोपाल दास नीरज को 1991 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा गोपाल दास नीरज को 2007 में भारत सरकार के द्वारा पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया। गोपाल दास नीरज को कई बड़ी-बड़ी हिंदी संस्थानों से भी सम्मान प्राप्त हुए हैं। ये सारी उपलब्धियां किसी भी रचनाकार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धियां हैं।
गोपाल दास नीरज का अंतिम समय
सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में साहित्य जगत के साथ फिल्मों में अपनी पहचान बनाने वाले गोपाल दास नीरज को बीमार अवस्था में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां उनका स्वर्गवास 19 जुलाई 2018 को हो गया। फिल्म जगत और साहित्य के क्षेत्र को श्रेष्ठ रचनाएं देने वाले गोपाल दास नीरज हमेशा के लिए हमें अलविदा कहकर चले गए। लेकिन रचनाकार कभी मरा नहीं करते बल्कि साहित्य जगत में और लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं। गोपाल दास नीरज के लिखें गाने आज भी उसी आनंद के साथ सुने जाते हैं और इनकी रचनाओं को आज भी एक प्रेरणा के रूप में पढ़ा जाता है।
हर रचनाकार को गोपाल दास नीरज जैसे कवि और गीतकार के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कई सारी बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की है साथ ही फिल्मों को भी श्रेष्ठ गीत दिए हैं। ऐसी शख्सियत का नाम है ‘‘गोपाल दास नीरज‘‘। गोपाल दास नीरज का पूरा नाम गोपाल दास सक्सेना है। गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश में हुआ। गोपाल दास नीरज के पिता का नाम बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना था। इनकी माता के नाम के बारें में जानकारी नहीं होने से हम बता नहीं पाएंगे।
गोपाल दास नीरज का बचपन और शिक्षा
गोपाल दास नीरज जब छोटे थे तभी इनकी माता का स्वर्गवास हो गया था। गोपाल दास नीरज बचपन से ही पढ़ने में होशियार छात्र रहे हैं। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एटा के एक विद्यालय से पूरी की। गोपाल दास नीरज के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिससे इन्होंने टाइप करने का काम भी किया। इनका बचपन संघर्षमय निकला।
काॅलेज शिक्षा और करियर
अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद इन्होंने 1951 में स्नातक पूरी की। गोपाल दास नीरज की हिंदी में रूचि थी इसीलिए स्नातक के बाद उन्होंने 1953 में हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। गोपाल दास नीरज ने अलीगढ़ में लेक्चरर के पद पर भी काम किया।
साहित्यिक जीवन
जब गोपाल दास नीरज स्नातक कर रहे थे तभी से उन्होंने काव्यपाठ आदि करना प्रारंभ कर दिया था। गोपाल दास नीरज की गीत लेखन में काफी रूचि थी और वो मंचों पर गीत गाके श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया करते थे। धीरे-धीरे गोपाल दास नीरज एक अच्छे गीतकार के रूप में सभी के दिलों में बसते गए। जब गोपाल दास नीरज गीतकार के रूप में अपनी ख्याति बना चुके थे तब उन्हें बाॅलीवुड की एक फिल्म ‘‘नई उमर की फसल‘‘ के लिए गीत लिखने का अवसर मिला। गोपाल दास नीरज ने इस फिल्म के लिए अपना पहला गीत ‘‘कारवां गुजर गया‘‘ लिखा। इस गीत को लिखने के बाद जब ये फिल्म रीलिज हुई, तो इस गीत को प्रशंसकों ने बहुत पसंद किया। ये अवसर गोपाल दास नीरज के जीवन का सबसे सुनहरा अवसर रहा। इसी अवसर से उन्हें बहुत बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हुई। इतना ही नहीं जब गोपाल दास नीरज के गीत मशहूर होने लगे तब उन्हें कई फिल्मों से गीत लिखने के लिए निमंत्रण मिलने लगे। इसी के फलस्वरूप गोपाल दास नीरज को प्रेम पुजारी, मेरा नाम जोकर, चंदा और बिजली और पहचान जैसी बड़ी फिल्मों के लिए और गीत लिखने के अवसर मिले।
उपलब्धियां
गोपाल दास नीरज को गीत लेखन के लिए कई बड़े-बड़े पुरस्कार प्राप्त हुए। साहित्य के क्षेत्र के अलावा फिल्म के क्षेत्र से भी कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। किसी भी गीतकार के लिए ये सबसे बड़ी उपलब्धि होगी कि उसका लिखा गीत लता मंगेश्कर जैसी मशहूर गायिका गाए। फिल्मों के लिए मशहूर गीत लिखने से इन्हें कई सारे पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें फिल्म फेयर अवार्ड मुख्य रूप से है जो इन्हें फिल्मों में लिखें कई गीतों के लिए मिले हैं।
इतना ही नहीं गोपाल दास नीरज को 1991 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा गोपाल दास नीरज को 2007 में भारत सरकार के द्वारा पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया। गोपाल दास नीरज को कई बड़ी-बड़ी हिंदी संस्थानों से भी सम्मान प्राप्त हुए हैं। ये सारी उपलब्धियां किसी भी रचनाकार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धियां हैं।
गोपाल दास नीरज का अंतिम समय
सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में साहित्य जगत के साथ फिल्मों में अपनी पहचान बनाने वाले गोपाल दास नीरज को बीमार अवस्था में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां उनका स्वर्गवास 19 जुलाई 2018 को हो गया। फिल्म जगत और साहित्य के क्षेत्र को श्रेष्ठ रचनाएं देने वाले गोपाल दास नीरज हमेशा के लिए हमें अलविदा कहकर चले गए। लेकिन रचनाकार कभी मरा नहीं करते बल्कि साहित्य जगत में और लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं। गोपाल दास नीरज के लिखें गाने आज भी उसी आनंद के साथ सुने जाते हैं और इनकी रचनाओं को आज भी एक प्रेरणा के रूप में पढ़ा जाता है।
हर रचनाकार को गोपाल दास नीरज जैसे कवि और गीतकार के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
Great sir
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