अतुकांत कविता क्या है और कैसे लिखें - Atukant kavita kya hai or kaise likhe
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है हमारे आज के लेशन में, जिसमें हम जानेंगे कि अतुकांत कविता क्या होती है और अतुकांत कविता कैसे लिखी जाती है। उससे पहले आप हमारा लेशन कविता क्या है और कैसे लिखें जरूर पढ़ लें। इसके साथ-साथ आप तुकांत कविता क्या है ये लेशन भी जरूर पढ़ लें।
अतुकांत कविता तुकांत कविता से बिल्कुल विपरित है। तुकांत कविता को हम तुकांत शब्दों के प्रयोग के द्वारा लिखते हैं, जबकि अतुकांत कविता में तुकांत का अभाव होता है। कहने का मतलब है जिस कविता में एक भी तुकांत शब्द ना हो, उसे ही हम अतुकांत कविता कहते हैं।
जब नवीन रचनाकार लिखने की शुरुआत करते हैं, तो उन्हें अतुकांत कविता से ही शुरुआत करनी चाहिए। अतुकांत कविता की मुख्य विशेषता होती है कि इसमें भावनाओं को महत्व दिया जाता है। इस कविता में कोई नियम की पाबंदी नहीं होती। लेकिन लिखने का तरीका महत्व रखता है। अतुकांत कविता छंदमुक्त कविता के अंतर्गत आती है।
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है हमारे आज के लेशन में, जिसमें हम जानेंगे कि अतुकांत कविता क्या होती है और अतुकांत कविता कैसे लिखी जाती है। उससे पहले आप हमारा लेशन कविता क्या है और कैसे लिखें जरूर पढ़ लें। इसके साथ-साथ आप तुकांत कविता क्या है ये लेशन भी जरूर पढ़ लें।
अतुकांत कविता तुकांत कविता से बिल्कुल विपरित है। तुकांत कविता को हम तुकांत शब्दों के प्रयोग के द्वारा लिखते हैं, जबकि अतुकांत कविता में तुकांत का अभाव होता है। कहने का मतलब है जिस कविता में एक भी तुकांत शब्द ना हो, उसे ही हम अतुकांत कविता कहते हैं।
Ghazal & Shayari Writing Course
अतुकांत कविता हमेशा सरल शब्दों में लिखी जाती है, जिसमें रचनाकार सीधी सरल भाषा में अपने भाव रखता है। इस कविता को पढ़ते-पढ़ते पाठक जब अंत में आते हैं, तो अंत का हिस्सा पढ़के उन्हें इस कविता के पूर्ण होने का अहसास हो जाता है। ये अतुकांत कविता की बहुत बड़ी विशेषता होती है।
अतुकांत कविता कैसे लिखें - Atukant kavita kaise likhe
अतुकांत कविता लिखने के लिए आपको बस एक भाव दिमाग में रखना है। उदाहरण के लिए मेरे दिमाग में आया कि इंसान एक ऐसा प्राणी है, जिसे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास तब तक नहीं होता जब तक कि उसके कंधे पर बोझ नहीं आता है। इस भाव को आप देखिए किस प्रकार एक अतुकांत कविता का रूप दिया गया है-
प्रकृति मनुष्य की
होती है ऐसी
कुछ पल के लिए
महसूस नहीं होती
लेकिन जब आता है
बोझ कंधे पर
तब महसूस होने लगती है
जिम्मेदारियां...
आप खुद देख सकते हैं कि किस प्रकार हमने जिम्मेदारियों के लिए कहा और इसका नाम अंत में बताया है ताकि पाठक को इसे पढ़ने में आनंद आ सके।
तो दोस्तों, उम्मीद करता हूं आपको हमारा लेशन पसंद आया होगा। अगर आप रोजाना ऐसे ही लेशन पढ़ना चाहते हैं, तो आप website ओपन होने के बाद जो Subscribe बाॅक्स आता है उसमें अपनी Email id डालके Subscribe जरूर कर लें जो बिल्कुल Free है।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
अतुकांत कविता हमेशा सरल शब्दों में लिखी जाती है, जिसमें रचनाकार सीधी सरल भाषा में अपने भाव रखता है। इस कविता को पढ़ते-पढ़ते पाठक जब अंत में आते हैं, तो अंत का हिस्सा पढ़के उन्हें इस कविता के पूर्ण होने का अहसास हो जाता है। ये अतुकांत कविता की बहुत बड़ी विशेषता होती है।
अतुकांत कविता कैसे लिखें - Atukant kavita kaise likhe
अतुकांत कविता लिखने के लिए आपको बस एक भाव दिमाग में रखना है। उदाहरण के लिए मेरे दिमाग में आया कि इंसान एक ऐसा प्राणी है, जिसे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास तब तक नहीं होता जब तक कि उसके कंधे पर बोझ नहीं आता है। इस भाव को आप देखिए किस प्रकार एक अतुकांत कविता का रूप दिया गया है-
प्रकृति मनुष्य की
होती है ऐसी
कुछ पल के लिए
महसूस नहीं होती
लेकिन जब आता है
बोझ कंधे पर
तब महसूस होने लगती है
जिम्मेदारियां...
आप खुद देख सकते हैं कि किस प्रकार हमने जिम्मेदारियों के लिए कहा और इसका नाम अंत में बताया है ताकि पाठक को इसे पढ़ने में आनंद आ सके।
तो दोस्तों, उम्मीद करता हूं आपको हमारा लेशन पसंद आया होगा। अगर आप रोजाना ऐसे ही लेशन पढ़ना चाहते हैं, तो आप website ओपन होने के बाद जो Subscribe बाॅक्स आता है उसमें अपनी Email id डालके Subscribe जरूर कर लें जो बिल्कुल Free है।
-लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
धन्यवाद जी
ReplyDeletePost a Comment