शायर जॉन एलिया को आज के दौर में सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। इसलिए आज हम "जॉन एलिया शायरी उर्दू शब्दों के अर्थ के साथ" पेश कर रहे हैं। इस कंटेंट में आपको जॉन एलिया गजल का भावार्थ भी पढ़ने को मिलेगा। अगर आप ऐसे ही गजलों के विश्लेषण जानना पसंद करते हैं या गजल कैसे लिखें जानने के इच्छूक हैं, तो हमारे Blogs को पढ़ते रहें।


बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122 1212 22

1.

आप अपना गुबार थे हम तो,
याद थे, यादगार थे हम तो।

आप - खुद

गुबार - मन में दबा हुआ दुर्भाव या क्रोध, शिकायत, मैल

यादगार - याद रखने योग्य


John Elia Shayari


यहां पर जॉन एलिया अपनी प्रेमिका या चाहने वाले को संबोधित करते हुए कह रहे हैं। इस मतले में "आप" और "हम" शब्द उनके स्वयं के लिए प्रयोग हुआ है। इस मतले के शे'र में शायर "John Elia" साहब कहते हैं कि मैं तो खुद का अपना एक गुबार था यानि मेरा तो खुद से मैल था या मुझे तो खुद से शिकायत थी। इतना ही नहीं मैं तो एक याद की तरह था और यादगार था अर्थात् याद रखने योग्य था। 

2.

पर्दगी! हम से क्यों रखा पर्दा,
तेरे ही पर्दा-दार थे हम तो।

पर्दगी - पर्दा रखने वाली
पर्दा-दार - पर्दे का ख्याल रखने वाला

इस शे'र में जॉन एलिया कहते हैं कि ओ पर्दा रखने वाली यानि कीमती चीजें या बातें छिपाने वाली। तुमने हमसे क्यों पर्दा रखा अर्थात् हमसे तुमने क्यों बातें छिपाई। हम तो खुद तुम्हारे लिए एक पर्दादार की तरह थे। यहां पर्दादार का अर्थ ये होता है जिसे उस कीमती चीज की निगरानी करने के लिए भरोसा करके रखा गया हो। 

3.

वक़्त की धूप में तुम्हारे लिए,
शजर-ए-साया-दार थे हम तो।

शजर-ए-साया-दार - छाया देने वाला वृक्ष

इस शे'र में एलिया साहब कहते हैं कि मैं तो इस जीवन की मुसीबतों में तुम्हारे लिए एक छायादार वृक्ष के जैसा था अर्थात् जीवन की मुसीबतों में तुम्हें सुकून देने वाला था। 

4.

उड़ते जाते हैं धूल के मानिंद,
आँधियों पर सवार थे हम तो।

मानिंद - समान, सदृश

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि तुम्हारे लिए हम तो उस धूल के जैसे थे जो आंधियों पर सवार रहती है अर्थात् आंधियों के साथ चलती है। 

5.

शर्म है अपनी बार बारी की,
बे सबब बार-बार थे हम तो।

बे सबब - बेवजह 

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि हम हमारी हर बार की बारी पर शर्मिंदा हैं। क्योंकि हम इन बारियों में बिना ही कारण के शामिल थे। 

6.

क्यूँ हमें कर दिया गया मजबूर,
खुद ही बे-इख़्तियार थे हम तो।

बे-इख़्तियार - बेकाबू, मजबूर, शक्तिहीन 



इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि हमें तुम्हारे द्वारा मजबूर क्यों किया गया अर्थात् हमें कमजोर क्यों किया गया। हम तो पहले से ही कमजोर थे या पहले से ही मजबूर थे।  

7.

तुम ने कैसे भुला दिया हम को,
तुम से ही मुस्त’आर थे हम तो।

मुस्त'आर - उधार, माँगा हुआ

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि समझ नहीं आता आखिर तुमने हमें भूला कैसे दिया। हम तो तुम्हारे द्वारा ही मांगे गए थे अर्थात् तुमने तो ही हमें मांगा था अब तुम हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो।  

8.

सह भी लेते हमारे तानो को,
जान-ए-मन, जाँ-निसार थे हम तो।

जाँ-निसार - जान कुर्बान करने वाला 

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि जान-ए-मन तुम हमारे दिए तानो को सह लेते या सुन लेते। हम तो तुम पर जान कुर्बान करने वाले थे।   

9.

खुद को दौरान-ए-हाल में अपने,
बे तरह नागवार थे हम तो।

दौरान-ए-हाल - हाल के दौरान 

बे तरह  - असाधारण, बहुत ज्यादा 

नागवार - जिसमें रूचि ना हो 

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि खुद के हाल के दौरान में यानि जब हम खुद के हाल में थे तब हम ज्यादा ही अरूचिकर थे।   

10.

तुम ने हम को भी कर दिया बर्बाद,
नादिर-ए-रोज़गार थे हम तो।

नादिर-ए-रोज़गार - रोजगार में श्रेष्ठ 

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि तुमने आज हमें इतना बर्बाद कर दिया कि हम किसी काम के नहीं रहे। पहले हम हमारे हर काम में श्रेष्ठ थे पर अब नहीं रहे।    

11.

हम को यारों ने याद भी न रखा,
"जॉन" यारों के यार थे हम तो।

इस शे'र में शायर एलिया कहते हैं कि पहले हम यारों के भी यार हुआ करते थे लेकिन आज हमारा ऐसा वक्त आ गया है कि मेरे यारों ने भी मुझे भूला दिया है अर्थात् याद नहीं रखा। 

    

- जॉन एलिया

तो रचनाकार, आज हमने "जॉन एलिया शायरी उर्दू शब्दों के अर्थ के साथ" समझाया। इसके साथ ही हमने जॉन एलिया की गजल का भावार्थ भी समझाने की कोशिश की। अगर आप एक गजलकार हैं, तो अपने रचनाकार मित्रों के साथ इस पोस्ट के लिंक को जरूर साझा करें। 


- प्रस्तुतकर्ता योगेन्द्र "यश"


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